मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के जीवन दर्शन की सबसे बड़ी विशेषता उनका लोकोन्मुख होना है

0

 मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के जीवन दर्षन की सबसे बड़ी विषेषता उनका लोकोन्मुख होना है- मा0 नन्दगोपाल गुप्ता ‘नन्दी’

‘भारतीय कला और साहित्य में श्रीराम एवं रामकथा तथा वैश्विक संस्कृतीकरण पर उसका प्रभाव’ दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ सफल आयोजन 

प्रोफेसरों व अध्येयताओं ने अपने शोधपत्रों के माध्यम से मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम के आदर्षों को नवीन आयाम में किया रेखांकित 

   


प्रयागराज 05 नवम्बर 2023। ‘भारतीय कला और साहित्य में श्रीराम एवं रामकथा तथा वैश्विक संस्कृतीकरण पर उसका प्रभाव’ विषय पर आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेष सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में राम उन मूल्यों के प्रतिमान है जिन आदर्षो ने भारत के लोकमानस की आचरण व मानसिकता को रचा बसा है। वे मर्यादा पुरूषोत्तम राम कहे जाते है। अर्थात मनुष्य के गुणोे की मर्यादा का अपने कृतित्व में अनुपालन करने वाले सर्वश्रेष्ट व्यक्तित्व हैै। राम के चरित्र मे - पुत्र, भाई, पिता, पति, षिष्य, अयोध्या नरेष आदि की भूमिकाओं में उन्होने सर्वश्रेष्ठ पदीय आदर्षो का पालन किया है।  राम और सीता का प्रेम अद्वितीय है यही समर्पण से भरपूर प्रेम हमारी संस्कृति का एक ऐसा मूल है जो आज भी पति और पत्नी को एकात्म रखता है। राम के जीवन दर्षन की सबसे बड़ी विषेषता उनका लोकोन्मुख होना है। राम के सम्पूर्ण जीवन दर्षन यात्रा का उद्देष्य लोक मंगल के लिए एक आदर्ष प्रतिमान स्थापित करना है। 

कार्यक्रम के विषिष्ट अतिथि इ.वि.वि. के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के प्रो0 हरि नारायण दुबे ने अपने उद्बोधन में कह कि रामकथा की दृष्टि में मानव जीवन के समग्र विकास का संदेष निहित है। राम के जीवन की कथा में भारत की भौगोलिक एकता ध्वनित होती है। देष के सभी प्रमुख भाषाओं में राम के जीवन्त को रचा-बसा गया जिनके प्रचार-प्रसार के कारण भारतीय संस्कृति की एकरूपता बढ़ी है। राम के जीवन की यह कथा कितनी प्रेरक रहेगी समुचा देष एक ही आदर्ष की ओर उन्मुख रहा और भारत सहित सिंहल, तिब्बत वर्मा औी कष्मीर आदि क्षेत्रों मे ंप्रचलित रामकाव्यों को यदि समाहित कर दे तो यह स्पष्ट होता है कि राम कथा ऐषियाई संस्कृति का महत्वपूर्व अंग है। 

प्रभु श्रीराम के नाम का हमारे भारतीय जनमानस पर क्या प्रभाव पड़ा इसको उद्घृत करते हुए सागर मध्य प्रदेष से आयी प्रख्यात विद्वान एवं समाजसेवी डाॅ. वन्दना गुप्ता ने कहा कि राम के नाम और राम के चरित्र का अनुषरण मात्र से हमारे जीवन का उद्धार होता है। उन्होने ने कहा कि काम, क्रोध, मद, लोभ से किया गया कार्य हमारे लिए सदा शर्मिंन्दगी का कारण बनता है इसलिए हमें इन चारों से हमेषा बचकर अपने जीवन को संचालित करना चाहिए। रामायण में वर्णित यह चार शब्द हमेषा सद्गुरू की भांति हमारा मार्गदर्षन करते है जो हमारे जीवन में अत्यंत महत्व रखने के साथ-साथ हमारे जीवन को  उन्नति एवं प्रगति के पथ पर अग्रसारित करते हैं। 


सम्राट हर्ष वर्धन शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार ‘अन्नू’ ने बताया कि श्रीराम भारतीय साहित्य संस्कृति के महानायक है वे हमारी अस्मिता के प्रतीक है उनका जीवन भारतीयों के लिए सदा प्रेरित रहा है। भारत तथा निकटवर्ती देषों के साहित्य में रामकथा की अद्वितीय व्यापकता एषिया के सांस्कृतिक इतिहास का अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व है।

आयोजक/संयोजक रामरती पटेल पी.जी. काॅलेज के प्राचार्य डाॅ प्रदीप कुमार केसरवानी ने कहा कि रामकथा गंगा की भांति सतत प्रवाहमान हैै। चाहे जितनी भाषाएं हो रामकथा सबमें है। भारतीय वाड़्मय रामकथा से ओतप्रेात है। प्रायः विद्वानों की मान्यता है आदिकवि वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण की रचना से रामकथा साहित्य का आद्वितीय प्रचार-प्रसार हुआ। समाजसेवी श्री रामजी अग्रहरी ने बताया कि राम का सम्पूर्ण जीवन दर्षन हम सभी भारतीयों को सदैव प्रेरित व मार्गदर्षित करता है। रामकथा वह अलौकिक दिव्य प्रकाषपुंज  है जो हमारे जीवन में संचेतना को प्रकाषित करता है। 

समारोह की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विष्वविद्यालय, अमरकटंक, मध्य प्रदेष प्रो. व्योमकेष त्रिपाठी ने कहा कि लोकजीवन का राग से युक्त है राम का आचरण व संस्कार संनातन से लोगों का जीवन प्रकाषित करता रहा है। राम नाम के रस में ही भारत की सभी विधाये ंसंपृक्त है। भारतीय लोक काव्य व लोकआचरण रामकथा से प्रवाहित है। राम कथा की दृष्टि में मानव जीवन समग्र विकास का संदेष निहित है। 

बीएचयू  के पूर्व विभागाध्यक्ष सीताराम दुबे ने कहा कि राम समग्रता के परिचायक है वे लोक कल्याण के लिए समर्पित व प्रतिबद्ध है। तुलसी के राम युगों युगों से आदर्ष रहे और लोक जीवन में इतने घुले-मिले हैं कि राम के बिना हम अपने अस्तित्व व आधार की कल्पना भी नही कर सकते हैं। 

समापन समारोह को सम्राट हर्षवर्द्धन शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री अनिल कुमार गुप्ता ‘अन्नू’, सम्राट हर्षवर्द्धन शोध संस्थान के निदेषक एवं कार्यक्रम के आयोजक प्रो. डाॅ प्रदीप कुमार केसरवानी, रामरती पटेल पी.जी. काॅलेज के संस्थापक श्री गिरजाषंकर पटेल, सागर मध्य प्रदेष से आये डाॅ. रामानुज, आयोजन समिति के प्रभारी रौनक गुप्ता एवं आयोजन समिति के स्थानीय प्रभारी डाॅ विजय कुमार जायसवाल ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ. रंजना त्रिपाठी ने अपनी शानदार प्रस्तुति से किया। . 

इस अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में आज तीन समानान्तर तकनीकी सत्रों का संचालन हुआ जिसकी अध्यक्षता प्रो. वीरेन्द्र मणि, प्रो. अवध नारायण, प्रो. व्योमकेष त्रिपाठी (अमरकंटक मध्य प्रदेष), डाॅ दीपषिखा, डाॅ अंजना गुप्ता ने किया।  जिसमें 60 से अधिक अध्येयताओं ने अपने शोध पत्र का वाचन करते हुए राम का विविध नवीन आयामों को रेंखांकित किया। दो दिवसीय सेमिनार में 10 लोगों को बेस्ट रिसर्च पेपर प्रजेंटेसन अवार्ड से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध राम भजन गायक प्रेम प्रकाष ने अपने भजन के माध्यम से माहौल को राममय बना दिया। राम का आदर्ष व मर्यादा श्रोताओं में रच बस गया। 

इस दो दिवसीय आयोजन को सकुषल सम्पन्न कराने में श्री अनिल कुमार गुप्ता ‘अन्नू’- संरक्षक, श्री गिरिजा शंकर सिंह पटेल-संरक्षक, कार्यक्रम के संयोजक  डाॅ. प्रदीप कुमार केसरवानी, मुख्य प्रभारी रौनक गुप्ता,  स्थानीय प्रभारी डाॅ विजय कुमार जायसवाल, प्रो. सीताराम दुबे, डाॅ. दीपषिखा पाण्डेय, डाॅ. पंकज गुप्ता, गौरव पटेल, देवेष केसरवानी, अनुभूति केसरवानी, राहुल जायसवाल, पवन गुप्ता, अभिषेक केसरवानी अनूप केसरवानी डाॅ काजल, डाॅ जमील अहमद, डाॅ रविषंकर, डाॅ वीरेन्द्रमणि त्रिपाठी, डाॅ. संजय साहनी, डाॅ विकाष यादव, डाॅ विनय शर्मा, चिन्तामणि, अभिषेक श्रीवास्तव, सौरभ यादव आदि लोगों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।




एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

@AVS

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top